Ra navghan
रा’ नवघण https://pocketnovel.onelink.me/tSZo/djacwa7a सौराष्ट्र मे कइ शासकोने अपने नेक टेक और धर्म से शासन कर प्रजामे अपने नाम को अमर किया है, एक एसे शासक हुए पुरे सौराष्ट्र पर जीनकी सत्ता चलती थी, जुनागढ के उपरकोट के किल्ले मे जिनकी राजगद्दी थी, वो थे चुडासमा राजवी रा’ डियास. पाटणपति राजा दुर्लभसेन सोलंकी ने जुनागढ पर आक्रमण कीया. कइ साल घेरा रखने के बावजुद भी जब उस से उपरकोट का किल्ला जीत नही शका, सोलंकीने अपने दशोंदी चारण को बुलाया, दुर्लभसेन सोलंकी यह जानता था की रा’ डियास बहुत बडा दानी है, वे कीसी याचक को कभी निराश नही करेगा. अपने चारण को कीसी भी तरह से रा’ डियास का सर दान मे ले आने को कहा. उस समय युद्ध गंभीर कीतना हो लेकिन चारण कीसी भी पक्ष मे बिना रोकटोक जा शकते थे. रा’ डियास सोलंकी ओ का सामना करने हेतु सभा भर कर बेठे थे, वहां चारण आया, राजपुत सभा को रंग देकर दुहा-छंद की बिरदावली शुरु की, राजपुतो की प्रशस्ति के छ...